बिटकॉइन (Bitcoin)
What is Bitcoin in Hindi? (बिटकॉइन क्या है?)
What is Bitcoin in Hindi? (बिटकॉइन क्या है?), इस लेख में हम हिन्दी में बिटकॉइन के बारे में विस्तार से जानेंगे। इस लेख (Article) को पढ़ने के बाद निम्नलिखित बातों को जान सकेंगे:
- Bitcoin (बिटकॉइन) क्या है?
- Bitcoin (बिटकॉइन) व्यवस्था क्या है?
- Bitcoin टोकन धारकों के लिए इसका लेखांकन(accounting) कैसे होता है?
- Bitcoin किस प्रोटोकॉल पर काम करता है?
- Bitcoin का इतिहास क्या है?
- Bitcoin प्राप्त करने के तरीके क्या हैं?
- Bitcoin को स्टोर कैसे करते हैं?
- Bitcoin की विशेषताएँ और कमियाँ क्या है?
- भारत में bitcoin की वर्तमान स्थिति क्या है?
- निष्कर्ष (Conclusion)/ हमें एक निवेशक के रूप में क्या करना चाहिए?
मेरा सुझाव रहेगा की इस लेख को पढ़ने से पहले, ब्लॉकचेन (Blockchain) और क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) वाले मेरे लेख को अवश्य पढ़ें। चूँकि यह एक नई व्यवस्था है और कुछ टेक्निकल शब्दों का इस्तेमाल हुआ है, इसलिए उपरोक्त लेखों को पढ़ने के बाद इसे थोड़ी और आसानी से समझा जा सकता है।
Bitcoin (बिटकॉइन) क्या है?
Bitcoin (बिटकॉइन) एक क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) है। यह विकेंद्रीकृत (Decentralized) मुद्रा है। Decentralization (विकेन्द्रीकरण) का मतलब इसे कोई भी रेगुलेट नहीं कर सकता, चाहे वो सरकार हो या सेंट्रल बैंक। इसके भाव में उतार-चढ़ाव को नियंत्रित नहीं किया जा सकता। इसे क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) इसलिए कहते हैं, क्योंकि इसमें कूट-लेखन (क्रिप्टोग्राफी /Cryptography) का इस्तेमाल कर इसे सुरक्षित किया जाता है। Bitcoin (बिटकॉइन) पहली क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) है। अभी हजारों की संख्या में क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) आ चुकी है, Bitcoin (बिटकॉइन) को छोड़कर बाकी सारी क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) को आल्टकॉइन (Altcoin) से संबोधित किया जाता है। Bitcoin (बिटकॉइन) को संछिप्त में BTC भी कहते हैं।
इसे आभासी (Virtual) मुद्रा (Currency) कहते हैं, क्योंकि इसका कोई भौतिक स्वरूप नहीं है।
इसे आप देख या छू नहीं सकते पर इंटरनेट के माध्यम से आम मुद्रा की तरह इसका इस्तेमाल वहाँ कर सकते हैं, जहाँ इसे स्वीकार किया जाता है। यह केवल इलेक्ट्रानिकली स्टोर किया जा सकता है। कूटलिखित (Encrypted) होने के कारण इसके साथ छेड़-छाड़ नहीं किया जा सकता।
बिटकॉइन व्यवस्था (Bitcoin System) क्या है?
बिटकॉइन व्यवस्था (Bitcoin System) को चलाने के लिए कंप्यूटर का समूह जिसे नोड (Node) या माइनर (Miner) कहते हैं कि आवश्यकता होती है। माइनर (Miner) पॉवरफुल कंप्यूटर का इस्तेमाल कर जटिल गणितीय पजल (पहेली) को हल करते है। पुरस्कार के तौर पर यह कुछ बिटकॉइन (Bitcoin) का मलिकत्व प्राप्त करते हैं। यह व्यवस्था पीर टू पीर (Peer-to-Peer) टेक्नोलॉजी पर काम करता है। पीर टु पीर (Peer-to-Peer) का मतलब नेटवर्क का हर कंप्यूटर दूसरे कंप्यूटर के लिए सर्वर की तरह काम करता है, और डेटा और सूचनाओं को साझा करता है। यहाँ कोई सेंट्रल सर्वर नहीं होता।
ये सारे कंप्यूटर बिटकॉइन कोड को चलाते हैं और इसे ब्लॉकचेन (Blockchain) में एकत्र (Store) करते हैं। ब्लॉकचैन ब्लाकों का समूह है औरब्लॉक ट्रांजेक्शन का समूह है। हर 10 मिनट के ट्रांजेक्शन के बाद एक ब्लॉक बनता है। ब्लॉक को हैश के द्वारा कोड कर देते हैं। हैश एक किसी भी लम्बाई का इनपुट टेक्स्ट है जो सीमित लंबाई का आउटपुट देता है। यह नंबर, अल्फाबेट और किसी मीडिया फाइल से बना हो सकता है। यह फिंगर प्रिंट (Fingerprint) की तरह होता है। जैसे हर किसी व्यक्ति का फिंगर प्रिंट अनोखा (Unique) होता है, वैसे ही हर ब्लॉक का हैश यूनीक होता है। ब्लॉग की श्रृंखला बनाने के लिए उसे पिछले हैश से जोड़ देते हैं।
सारे कंप्यूटर समूह के पास वही ब्लॉकचेन होता है, और ब्लॉकचेन में वैसा ही ब्लॉक और ट्रांजेक्शन अभिलिखित (Recorded) होता है। इससे इसकी पारदर्शिता बरकरार रहती है, और नेटवर्क के दूसरे कंप्यूटर पर हो रहे नए बिटकॉइन (Bitcoin) ट्रांजैक्शन को हर कंप्यूटर से देखा जा सकता है। अतः इस व्यवस्था में धोखे की गुंजाइश नहीं है।
बिटकॉइन (Bitcoin) व्यवस्था पर आघात करने के लिए इसमें शामिल 51% (51 प्रतिशत) नोड का कंप्यूटर पावर एकत्र करना होगा और इसे नए ब्लॉक चेन में परिवर्तित करना होगा। यह असंभव है क्योंकि लगभग हमेशा कंप्यूटर जुड़ते रहते हैं और इतना कंप्यूटर पावर एकत्र करना लगभग नामुमकिन है। अगर इसे आघात (attack) पहुंचाने की कोशिश भी हुई तो बिटकॉइन माइनर्स इसे विभाजित कर नया ब्लॉकचेन बना लेंगे।
बिटकॉइन (Bitcoin) टोकन धारकों के लिए इसका लेखांकन (accounting) कैसे होता है?
बिटकॉइन (Bitcoin) टोकन प्राप्त करने के बाद इसे Public key (सार्वजनिक कुंजी) और Private key (व्यक्तिगत कुंजी) की सहायता से रखते हैं। Public key (सार्वजनिक कुंजी) को हम बैंक अकाउंट (Bank Account) की तरह समझ सकते हैं। Public key (सार्वजनिक कुंजी) संख्या (Number) और वर्णमाला (Alphabet) से बना एक लंबा स्ट्रिंग होता है, जो गणितीय कूटलिखित कलनविधि (Mathematical Encryption Algorithm) के द्वारा किया जाता है। इसकी जानकारी सार्वजनिक की जा सकती है, ताकि बाकी लोगों से बिटकॉइन का आदान प्रदान कर सकें। Private key (व्यक्तिगत कुंजी) को ATM PIN (एटीएम पिन) या इंटरनेट बैंकिंग पासवर्ड (Internet Banking Password) की तरह समझ सकते हैं, और इसका इस्तेमाल बिटकॉइन ट्रांजैक्शन के लिए किया जाता है।
बिटकॉइन (Bitcoin) किस प्रोटोकोल पर काम करता है?
बिटकॉइन (Bitcoin) प्रूफ ऑफ वर्क (Proof of Work) प्रोटोकोल (Protocol) पर काम करता है। प्रूफ ऑफ वर्क, बिटकॉइन (Bitcoin) में हो रहे ट्रांजैक्शन्स के नए ब्लॉक को ब्लॉकचेन में जोड़ने की प्रक्रिया है। “वर्क” का शाब्दिक अर्थ है “काम”, यहाँ काम से तात्पर्य है कि, हैश की उत्पत्ति कर इसे गंतव्य (Target) ब्लॉक से जोड़ना। नेटवर्क में जुड़े दूसरे नोड यानी कंप्यूटर इसे सत्यापित करते हैं।
बिटकॉइन (Bitcoin) का इतिहास क्या है?
बिटकॉइन को जनवरी 2009 में सतोशी नाकामोतो द्वारा बनाया गया सतोषी नाकामोतो के पहचान के बारे में कोई निश्चित जानकारी उपलब्ध नहीं है। यह एक व्यक्ति या ग्रुप हो सकता है। यह अभी भी एक रहस्य बना हुआ है। संतोषी नकामोतो ने वर्ष 2008 में एक श्वेत पत्र (White Paper) जारी कर बिटकॉइन के कार्य प्रणाली (Operation) और विचार (Idea) को दुनिया के सामने रखा। बिटकॉइन के लिए यही मार्गदर्शक सिद्धांत (Guiding Principle) है। इसे ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर (Open Source Software) की तरह जारी किया गया। ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर का मतलब है कि कंप्यूटर प्रोग्रामिंग का कोड जिसे उपयोग, रूपांतरित और वितरित किया जा सकता है।
बिटकॉइन (Bitcoin) प्राप्त करने के तरीके क्या हैं?
बिटकॉइन को हम दो मुख्य तरीकों से प्राप्त कर सकते हैं।
- माइनिंग (Mining) और 2. क्रिप्टो एक्सचेंज (Crypto Exchange) या ब्रोकर (Broker)
1. माइनिंग (Mining) के जरिए:
बिटकॉइन की माइनिंग विशेष पावरफुल कंप्यूटर द्वारा जटिल गणितीय पजल (पहेली) का हल निकालकर होती है। माइनर्स ब्लॉकचेन में जुड़े जुड़ने वाले नए ब्लॉक का पता लगाते हैं। इसका सत्यापन होने के बाद माइनर्स को बिटकॉइन पुरस्कार के रूप में दिया जाता है। पुरस्कार हर 2,10,000 ब्लॉक के बाद आधा हो जाता है और बदलता रहता है। माइनिंग के लिए विविध प्रकार के हार्डवेयर का उपयोग किया जाता है। बिटकॉइन की उपलब्धता बढ़ाने के लिए एक बिटकॉइन को आठवें दशमलव तक विभाज्य किया गया है। इस सबसे छोटे यूनिट को “सतोषी” कहते हैं। आवश्यकता पड़ने पर इसे और विभाजित किया जा सकता है।
बिटकॉइन की संख्या सीमित है और केवल 2,10,00,000 बिटकॉइन को ही माइन किया जा सकता है। वर्तमान में 1,90,18,781 बिटकॉइन की आपूर्ति (Supply) की जा चुकी है।
असल में माइनिंग इतना आसान नहीं है, इसमें विशेष प्रकार के पावरफुल कंप्यूटर का इस्तेमाल होता है। और, जटिल गणितीय पजल (पहेली) को हल करने में कई दिन लग जाते हैं। इसलिए बिटकॉइन प्राप्त करने का यह तरीका अभी भी कुछ उन्हीं लोगों तक सीमित है जो इससे जुड़े टेक्नोलॉजी, प्रोग्रामिंग और प्रक्रिया को बखूबी समझते हैं, और उनके पास उपयुक्त संसाधन की उपलब्धता है।
ज्यादातर लोगों के लिए दूसरा तरीका उपयुक्त है, जिसके जरिए बिटकॉइन प्राप्त किया जा सकता है।
2. Crypto Exchange (क्रिप्टो एक्स्चेंज) या Broker (ब्रोकर) के जरिए:
आज कल बहुत सारे सेंट्रल एक्स्चेंज ब्रोकर या व्यक्ति से Cryptocurrency खरीदे, बेचे या रखे जा सकते हैं। खरीदने के बाद इसे डिजिटल वॉलेट (Digital Wallet) में रखा जाता है, जो दो प्रकार के होते हैं। इसे हमने आगे बताया है।
एक बार आपने यह निश्चय कर लिया कि कौन से एक्स्चेंज से बिटकॉइन खरीदना चाहते हैं, फिर क्रेडिट, डेबिट या फिर अन्य अनुमेय (Permissible) तरीकों द्वारा भुगतान कर सकते हैं। इसके बाद इसे डिजिटल वॉलेट (Digital Wallet) में स्टोर कर रखते हैं।
बिटकॉइन (Bitcoin) को स्टोर कैसे करते हैं?
बिटकॉइन को डिजिटल वॉलेट (Digital वालेट) में रखा जाता है जो दो प्रकार के होते हैं: a) Hot Wallet (हॉट वॉलेट) और b) Cold Wallet (कोल्ड वॉलेट)
a) Hot Wallet (हॉट वॉलेट) तीन प्रकार के होते हैं:
i) डेस्कटॉप वॉलेट (Desktop Wallet): यह डेस्कटॉप या लैपटॉप पर इन्स्टाल (Install) किया जाता है, और इसका नियंत्रण उपभोक्ता (User) के पास होता है। इसे असुरक्षित माना जाता है।
ii) मोबाईल वॉलेट (Mobile Wallet): यह डेस्कटॉप वॉलेट की तरह हीं होता है,पर स्मार्टफोन या किसी अन्य मोबाईल उपकरण (Other Mobile Devices) पर काम करता है। इसे भी असुरक्षित माना जाता है।
iii) वेब वॉलेट (Web Wallet): यह एक online सेवा है जो बिटकॉइन को संग्रह (Collect) या भेजने (Send) में उपयोग किया जाता है। इसे हम email (ईमेल) अकाउंट की तरह समझ सकते हैं। इसकी विशेषता यह है कि इसे कहीं भी एक्सेस (Excess) कर सकते हैं, पर यहाँ भी इसकी सुरक्षा एक चिंता का विषय है।
b) Cold Wallet (कोल्ड वालेट) / Hardware Wallet (हार्डवेयर वॉलेट):
कोल्ड वॉलेट का मतलब है जो किसी डिवाइस जैसे कि पेन ड्राइव में स्टोर कर रखा जाता है। इसे हॉट वॉलेट की तुलना में सुरक्षित माना जाता है। पर डिवाइस के खोने या पासवर्ड भूलने पर इसका कोई मूल्य नहीं रह जाता।
बिटकॉइन की विशेषताएं और कमियां क्या हैं?
आइए डालते हैं एक नजर इसकी विशेषताओं और खामियों पर:
विशेषताएं (Advantages)
- यह ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी और क्रिप्टोग्राफी द्वारा सुरक्षित है।
- इस पर किसी देश या सेंट्रल बैंक का अधिकार नहीं है।
- यह पारदर्शी और दृढ़ (Immutable) है, मतलब कोई छेड़छाड़ नहीं किया जा सकता।
- इसकी आपूर्ति (Supply) सीमित है इसलिए इसकी तुलना सोने (Gold) से भी की जाती है।
- विशेषज्ञ इसे मुद्रास्फीति (Inflation) के बाड़े (Hedge) के रूप में भी देखते हैं, क्योंकि दिन प्रतिदिन इसके मूल्य में इजाफा ही हो रहा है।
- इसमें गोपनीयता बनी रहती है, क्योंकि इसके सही धारक (Owner) का पता नहीं लगाया जा सकता।
- इसके ट्रांजेक्शन में समय और खर्च कम लगता है।
- यह व्यापार लेनदेन के लिए 24 घंटो उपलब्ध है।
कमियां (Disadvantages)
- इसके भाव में काफी उतार-चढ़ाव (Volatility) देखा जाता है।
- इसके लेनदेन को अभी बहुत जगहों पर स्वीकार नहीं किया गया है।
- इसके ट्रांजेक्शन के गोपनीय होने के कारण इसका इस्तेमाल ज्यादातर अवैध गतिविधियों जैसे मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) का कर अपवंचन (Tax Evasion), और आतंकवादी गतिविधियों को वित्तीय मदद पहुंचाने (Terror-Financing) में किया जाता है।
- एक बार इसका पासवर्ड या कंट्रोल खो जाने के बाद दुबारा प्राप्त नहीं किया जा सकता।
भारत में बिटकॉइन की वर्तमान स्थिति क्या है?
वर्ष 2022 के बजट में भारत सरकार ने आभासी (Virtual) डिजिटल संपत्तियों से होने वाले लाभ पर 30% का कर (Tax) लगाया है। इसके अंतर्गत क्रिप्टोकरेंसी भी आता है। वर्ष 2018 में भारत सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। अब तक भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई थी। जो कि अब भी बनी हुई है। परंतु सरकार के कर लगाने के निर्णय के बाद निवेशकों की सतर्कता जरूर जगी है। इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं लगाया जा सकता कि क्रिप्टो करंसी को कानूनी वैधता प्राप्त हो गयी है।
निष्कर्ष (Conclusion) / हमें एक निवेशक के रूप में क्या करना चाहिए?
बिटकॉइन के लिए यह कहना बहुत ही कठिन होगा कि इसका वास्तविक भविष्य क्या है, यह भविष्य की मुद्रा है या नहीं। यह बहुत कुछ विश्व के प्रमुख देशों पर निर्भर करता है और उससे भी अधिक इस बात पर की यह आने वाले समय में नई-नई चुनौतियों का सामना कैसे करती है। फिलहाल! एक बात तो तय है कि अगर आप इसमें निवेश करना चाहते हैं तो आपको इससे पहले अच्छी तरह समझना होगा। इससे जुड़े हर एक पहलू को ध्यान में रखकर ही निवेश करना समझदारी होगी।
हमने अपने इस ब्लॉग के जरिये आपको ज्यादा से ज्यादा सूचनाएं देने की कोशिश की है। हम इस ब्लॉग पर दैनिक समाचार के जरिए आपको क्रिप्टो करेंसी जुड़े समाचारों से अवगत कराने की कोशिश करते रहेंगे। इस ब्लॉक के जरिये हमारा उद्देश्य ही यही है कि आप सोच समझकर निर्णय (Informed Decision) ले पाएं ।
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