ब्लॉकचेन (Blockchain)

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Blockchain Technology in Hindi (ब्लॉकचेन टेक्नॉलजी हिन्दी में)

Blockchain Technology in Hindi (ब्लॉकचेन टेक्नॉलजी हिन्दी में), इस लेख में हम हिन्दी में ब्लॉकचेन के बारे में विस्तार से जानेंगे। इस लेख (Article) को पढ़ने के बाद निम्नलिखित बातों को जान सकेंगे:

 

  1. Blockchain (ब्लॉकचेन ) क्या है?
  2. केंद्रीकृत (Centralized) और विकेंद्रीकृत( Decentralized) नेटवर्क क्या होता है?
  3. Blockchain (ब्लॉकचेन ) का इतिहास क्या है?
  4. Blockchain (ब्लॉकचेन ) कैसे काम करता है?
  5. Blockchain (ब्लॉकचेन ) में आम-सहमति (Consensus) क्या है?
  6. Blockchain (ब्लॉकचेन ) का उपयोग कहाँ है?
  7. Blockchain (ब्लॉकचेन ) की विशेषताएँ और कमियाँ क्या है?
  8. Blockchain (ब्लॉकचेन ) का भविष्य (Way Forward)

 

ब्लॉकचेन क्या है?

ब्लॉकचेन दो शब्दों से बना है, ब्लॉक (Block) और चेन (Chain). ब्लॉकचेन का शाब्दिक अर्थ है, ब्लॉकों की शृंखला। हमने अक्सर ये सुना है की आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है। आइये देखते हैं आखिर क्यों इस टेक्नालजी की जरूरत महसूस हुई और आनेवाले दिनों में ये कैसे मानव जीवन में क्रांति ला सकती है और ला रही है। ठीक वैसी क्रांति जैसी इंटरनेट ने 90 के दशक के बाद लाया।

Blockchain Technology in Hindi

आइए Blockchain को एक उदाहरण के द्वारा समझते हैं।

मान लीजिये एक व्यक्ति “A” ने 1000 रुपये का कर्ज़ कुछ समय के लिए दूसरे व्यक्ति “B” से लिया। इस ट्रैंज़ैक्शन को “B” ने एक रजिस्टर में दर्ज़ किया और दोनों ने इस पर हस्ताच्छर किए। कुछ समय बीतने के बाद “B” की नीयत खराब हुई और उसने बदलकर 10000 रुपये कर दिया। जब रुपये चुकाने की बात आई तो “B” ने 10000 रुपये की मांग की जिसका “A” ने विरोध किया, और ये अनुचित भी है।

पर, “A” यह साबित नहीं कर पाया की समझौते की रकम को “B” द्वारा बादल दिया गया है। इस पूरे प्रकरण में हम अगर देखें तो मुद्दा विश्वास (Trust) का हो गया। निजी या व्यावसायिक जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में प्रायः लोग इस तरह की समस्याओं का सामना करते हैं।

अब अगर ऐसा सोचें की जैसे हीं इस खाता (Register) में कोई छेड़छाड़ किया गया तो इसकी सूचना A, B, या C या D …………या  ऐसे बहुत सारे लोग जो इससे संबन्धित हैं, उनके पास चली जाए मैसेज या ई-मेल के द्वारा, तो सोचिए एक पारदर्शिता बहाल हो सकती है।

यह तो एक बहुत साधारण उदाहरण है, जहां सोचिए, सिर्फ दो लोगों का विश्वास जुड़ा हुआ है। अब जरा सोचें की ऐसे अनुबंध (Contracts) जहां कंपनियाँ, सरकारें और कई प्राइवेट सदस्य शामिल हों और वहाँ अगर इस तरह की स्थिति पैदा हो, तो जाने कितने लोग प्रभावित  होंगे। एक कदम और बढाकर कल्पना कीजिये, ऐसे अनुबंध जहाँ सिवाय दूसरी पार्टी (घटक) पर भरोसा करने के और कोई चारा न हो, वहाँ की स्थिति कैसी होगी!

इन सब समस्याओं का मूल कारण है सूचनाओं का केन्द्रीकरण (Centralization). अगर कोई सूचना केंद्रीकृत है, मतलब एक इंसान या संस्था के पास है तो वहाँ विश्वास (Trust) की समस्या रहती है। आए दिन कांट्रैक्टस और अग्रीमेंट्स में संस्थाओं और व्यक्तियों की विश्वसनीयता पर सवाल उठते रहते है।

इसी समस्या का हल ब्लोकचेन तकनीकी लेकर आया, जहां डाटा या सूचना विकेंद्रीकृत (Decentralized) हो गयी।

Blockchain Technology in Hindi

 

केंद्रीकृत (Centralized) और विकेंद्रीकृत( Decentralized) नेटवर्क क्या होता है?

केन्द्रीक्र्त नेटवर्क (Centralized Network)

इसमें एक सर्वर (Server) होता है, (सर्वर एक कम्प्युटर प्रोग्राम या उपकरण होता है जो दूसरे कम्प्युटर को जरूरी डाटा और सूचनाओं को उपलब्ध कराता है।) और कई सारे Client (ग्राहक कम्प्युटर) होते हैं जो सर्वर से सूचनाओं को लेते हैं। नीचे दिये गए डाइग्राम से इसे समझते है। यहाँ जब Client (ग्राहक कम्प्युटर) को किसी डाटा या सूचना की आवश्यकता होती है, वो सर्वर (Server)  को अनुरोध (Request) करता है और फिर सर्वर उसका जवाब (Respond) देता है।

                 केन्द्रीक्र्त नेटवर्क (Centralized Network)

 केंद्रीकृत नेटवर्क (Centralized Network) में सारी सूचनाएँ एक जगह यानि सर्वर पर एकत्रित होती है। इसे हैक(घुसपैठ) किया जा सकता है। या, फिर किसी तकनीकी समस्या के कारण सुचनाओं के आदान-प्रदान में बाधा आ सकती है।

 विकेन्द्रीक्र्त नेटवर्क (Decentralized Network)        

Decentralized network (विकेंद्रीकृत नेटवर्क)

Decentralized Network (विकेंद्रीकृत नेटवर्क) पीर-टू-पीर (Peer-to-peer) आदर्श (Model) पर काम करता है। पीर-टू-पीर (Peer-to-peer) का मतलब नेटवर्क का हर कम्प्युटर दूसरे कम्प्युटर के लिए सर्वर की तरह काम करता है, और डाटा और सुचनाओं को साझा करता है। यहाँ कोई सेंट्रल सर्वर नहीं होता।अब अगर मान लीजिये कोई एक पीर(Peer) “B” को hack (घुसपैठ) करता है तो डाटा या सूचना दूसरे पीर(Peer) A, C, E या D से प्राप्त किया जा सकता है

आइये Blockchain की परिभाषा को देखते हैं:

परिभाषा:

Blockchain एक Distributed immutable ledger है, जिसका उपयोग ट्रैंज़ैक्शनस को रेकॉर्ड करने के लिए होता है। और अगर एक बार ट्रैंज़ैक्शन रेकॉर्ड हो गया तो इसे बदला नहीं जा सकता।

इसमें तीन शब्दों का इस्तेमाल हुआ है। Distributed, immutable, और ledger। आइये इसे समझें।

Ledger (खाता): यह रजिस्टर या खाता है जो डिजिटल फॉर्म में है।

Immutable (अपरिवर्तनीय / अडिग): यानि इसके साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकते।

Distributed (वितरित): मतलब एक से ज्यादा कम्प्युटर / लोगों के पास इसकी कॉपी मौजूद है। यह Decentralized Network (विकेंद्रीकृत नेटवर्क) में पीर-टू-पीर (Peer-to-peer) नेटवर्क के द्वारा होता है।

 ब्लॉकचेन (Blockchain) का इतिहास:

रिसर्च वैज्ञानिक स्टुआर्ट हबर (Stuart Haber) और डबल्यू स्कॉट स्टोरनेटा (W. Scott Stornetta) ने वर्ष 1991 में ब्लॉकचेन टेक्नालजी को वर्णित (Describe) किया था। इनका मकसद डिजिटल डॉक्युमेंट्स को टाइम स्टम्प करना था, ताकि इसे पुरानी तारीख (Backdated) में बदला या छेड़छाड़ (Temper) नहीं किया जा सके।

उसके बाद वर्ष 2008 में सतोषी नकामोतो (Satoshi Nakamoto) जो की एक व्यक्ति या समूह हो सकता है, ने इसे पूरी तरह से बदल दिया। वर्ष 2009 में इसी टेक्नालजी का इस्तेमाल करके उन्होनें एक Cryptocurrency, Bitcoin की खोज की। इसके बाद तो इस दिशा में लगभग हर देशों ने काम करना शुरू कर दिया।

चूंकि, Cryptocurrency एक विकेंद्रीकृत मुद्रा व्यवस्था (Decentralized currency system) की बात करती है, जो की कोई भी देश नहीं चाहता, इसलिए Cryptocurrency को किसी भी देश ने अब तक पूर्णतः स्वीकार नहीं किया है। लेकिन, इसके पीछे जिस टेक्नालजी यानि Blockchain टेक्नालजी का हाथ है, को हर देश ने स्वीकार किया। विश्व के हर देशों में अपने तरीके से इस दिशा में  काम चल रहा है।

Blockchain कैसे काम करता है?

उदाहरण के लिए हम तीन ब्लॉक लेते हैं।

Blockchain Technology in Hindi

यहाँ तीन बातों का जिक्र हुआ है। i) ब्लॉक ii) हैश, और iii) पिछला हैश

ब्लॉक:

हर ब्लॉक में डाटा Stored होता है। डाटा लेन-देन (ट्रैंज़ैक्शनस) का रेकॉर्ड होता है। इसके अतिरिक्त ब्लॉक में उसका क्रम (Number) और समय की मुहर (Time stamp) भी दर्ज़ होता है। एक ब्लॉक के अंदर हजारों लेन-देन (ट्रैंज़ैक्शनस) हो सकते हैं। कुछ मिनट या सेकंड के ट्रैंज़ैक्शन के बाद एक ब्लॉक बनता है, और इसे ब्लॉक टाइम कहते हैं।

उदाहरण के तौर पर Bitcoin, Cryptocurrency के एक ब्लॉक बनने में औसतन 10 मिनट लगते हैं। हर ब्लॉक को हैश से कोड कर देते हैं और पिछले हैश से लिंक कर देते हैं।

 हैश :

हैश एक किसी भी लंबाई का इनपुट टेक्स्ट है जो सीमित लंबाई का आउटपुट देता है। यह नंबर, अल्फाबेट और किसी मीडिया फ़ाइल से बना हो सकता है। यह फिंगरप्रिंट (Fingerprint) की तरह होता है। जैसे हर किसी का फिंगरप्रिंट अनोखा (Unique) होता है, वैसे हीं हर ब्लॉक का हैश यूनिक होता है।

पिछला हैश:

जाहिर है ये पिछले हैश का reference है। बाकी सब कुछ हैश जैसा हीं है।

हैश XYZR, ABCP, PQRA…. इत्यादि, उदाहरण मात्र है।  अगर ब्लॉक1 को हम पहला उत्पन्न  ब्लॉक मानें तो इसे Genesis (जेनेसिस) ब्लॉक कहते हैं, और इसलिए इसका हैश 0000 है।

हैश कैसे करते हैं? या हैश एल्गॉरिथ्म कैसे करते हैं?

हैश एल्गॉरिथ्म किसी भी लंबाई का इनपुट स्ट्रिंग (String) लेता है, और इसे निश्चित लंबाई में परिवर्तित कर देता है। इनपुट संख्या (Number), वर्णमाला (Alphabet), मीडिया फ़ाइल (Media files) हो सकता है। हैश की निश्चित लंबाई 32-bit, 64-bit, 128-bit या 256-bit हो सकता है। यह इसपे निर्भर करता है की हम कौन सा हैश फंक्शन (Hash function) इस्तेमाल करते हैं। वर्तमान में SHA-256 एल्गॉरिथ्म का इस्तेमाल हो रहा है।

SHA-256 (Secure Hash Algorithm -256) क्या है?

संख्या (Number), वर्णमाला (Alphabet), मीडिया फ़ाइल (Media files) का इनपुट लेकर डाटा तो कूटित (Encrypt) कर इसे 256-bit का हैश बना देते हैं, और यहीं किसी ब्लॉक की  पहचान बन जाती है। इस हैश को वहीं पढ़ सकता हैं जिसके पास इसकी कुंजी (Key) हो।

Blockchain Technology in Hindi

अब अगर मन लेते हैं किसी ने एक ब्लॉक का हैश पता कर लिया फिर भी वो इसके साथ कुछ छेड़-छाड़ नहीं कर सकता क्योंकि किसी नेटवर्क में नया ब्लॉक जोड़ने के लिए आम-सहमति (Consensus) की जरूरत होती है। इस सहमति के लिए 51 प्रतिशत (51%) nodes (कम्प्युटर) की सहमति की आवश्यकता होती है, जो की बड़े नेटवर्क के लिए लगभग असंभव है।

आम-सहमति (Consensus) क्या है?

ब्लॉकचेन सिस्टम में जब हम नया ब्लॉक जोड़ते हैं तो इसकी वैद्यता जाँचने के लिए Consensus प्रोटोकॉल का उपयोग करते हैं। यह किसी नेटवर्क में निर्धारित नियम होता है जिसके तहत नेटवर्क के कम्प्युटर यह पता लगाते है की जुडने वाला ब्लॉक सही है या नहीं। यह विभिन्न तरीकों से किया जाता है। प्रूफ ऑफ वर्क, प्रूफ ऑफ स्टेक, प्रूफ ऑफ कैपैसिटि, प्रूफ ऑफ एकटीविटी, प्रूफ ऑफ बर्न, प्रूफ ऑफ टाइम एलस्प्सेड…. इत्यादि प्रोटोकॉल (Protocol) Consensus के लिए  इस्तेमाल किए जाते हैं।

इसके तकनीकी पहलूओं को जानने के बाद आइये देखते हैं किन-किन क्षेत्रों में ब्लॉकचेन तकनीकी उपयोगी है।

Blockchain Technology in Hindi 

ब्लॉकचेन का उपयोग कहाँ है?

बैंकिंग और फ़ाइनेंस (Banking & Finance):

बैंकिंग क्षेत्र के लिए यह टेक्नालजी वरदान की तरह है।इस टेक्नालजी की मदद से ट्रैंज़ैक्शन खर्च और समय कम लगेंगे।एक तरफ जहां विदेशों में पैसा भेजने में कई दिन लग जाते हैं और अनिश्चितता बनी रहती है, ब्लॉकचेन की मदद से यह कुछ मिनटों का काम है। स्टॉक मार्केट के ट्रेडिंग (विनिमय) और सेट्लेमेंट (भुगतान) में अभी भी 2-3 दिन लग जाते है। वहीं इस टेक्नालजी की मदद से यह कुछ मिनटों में हीं सुरक्षित तरीके से हो जाएगा। यह टेक्नालजी 24 घंटे विनिमय के लिए उपलब्ध है।

मुद्रा (Currency):

ब्लॉकचेन Cryptocurrencies का आधार है। Bitcoin और अन्य Cryptocurrency बिना किसी सेंट्रल बैंक के इस टेक्नालजी की मदद से अपना संचालन करती है।

स्वास्थ्य सेवा (Healthcare):

ब्लॉक चेन टेक्नालजी का इस्तेमाल करके मेडिकल रेकॉर्डस को सुरक्षित रखा जा सकता है। इसे कहीं भी एक्सैस (access) किया जा सकता है।

प्रॉपर्टी रेकॉर्ड्स (Property Records):

आज भी ज़्यादातर जमीन जायदाद से जुड़े ट्रैंज़ैक्शन कागज के रूप में है। आए दिन इसमें गड़बड़ी, फर्जी या हेर-फेर होते रहते हैं क्योंकि इस दस्तावेज़ों को विभिन्न सरकारी दफ्तरों से गुज़रना पड़ता है। इन दफ्तरों के कर्मचारियों की गलती या मिलीभगत से समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ब्लॉक चेन की मदद से इसे डिजिटल कर हम इसके स्वामित्व (Ownership) और दस्तावेज़ (Documents) को सुरक्षित रख सकते हैं।

स्मार्ट कांट्रैक्टस (Smart Contracts):

स्मार्ट कांट्रैक्ट एक कम्प्युटर कोड है जो ब्लॉकचेन के द्वारा बनाया जाता है। इससे कांट्रैक्टस को सुविधाजनक बनाने, सत्यापित करने, और मोल-भाव करने में आसानी होती है। जब उपयोग करने वाला व्यक्ति या संस्था कांट्रैक्ट के शर्तों को पूरा करते हैं, फिर कांट्रैक्ट अपने आप निष्पादित (Execute) हो जाता है।

आपूर्ति शृंखला (Supply Chains):

विगत कुछ समय में हमने पाया है की आपूर्ति शृंखला में चूक या गड़बड़ी के कारण चीजों को नुकसान पहुंचता है,और अगर खाने-पीने की वस्तु हो तो इसके दूषण से बीमारियाँ फैलती है।  हम यह पता लगाने में असमर्थ होते हैं की आखिर कहाँ से इसके दूषण की शुरुआत हुई। ब्लॉक चेन टेक्नालजी की मदद से इसके मूल स्थान से लेकर गंतव्य स्थान तक हुए बदलाव का पता लगाया जा सकता है। जिससे खाद्य पदार्थों की सुरक्षा बरकरार रह सकती है।

चुनाव (Voting):

ब्लॉक चेन टेक्नालजी का इस्तेमाल हम आधुनिक चुनाव प्रणाली में कर सकते हैं। इससे हम चुनावी धोखा-धड़ी को दूर कर सकते हैं। इससे चुनाव प्रणाली की पारदर्शिता बढ़ेगी और ज्यादा लोगों को चुनावी प्रक्रिया से जोड़ सकते हैं।

इसके अलावे आम जीवन से जुड़े कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां ब्लॉकचेन टेक्नालजी का इस्तेमाल कर सकते हैं। आनेवाले कुछ समय में हमारे सामने यह हक़ीक़त के तौर पर होगा।

Blockchain की विशेषताएँ और कमियाँ क्या है?

विशेषताएँ (Advantages / Pros)

  1. इस टेक्नालजी द्वारा किया गया ट्रैंज़ैक्शन सुरक्षित है, इसमें समय कम लगता है, और ट्रैंज़ैक्शन खर्च भी बहुत कम है। ।
  2. यह पारदर्शी टेक्नालजी है।
  3. मानवीय हस्तक्छेप नगण्य है, जिससे इसकी क्षमता बढ़ती है।
  4. इसे भविष्य में बैंक के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है।

कमियाँ (Disadvantages / Cons)

  1. इसके ट्रैंज़ैक्शन के गोपनीय होने के कारण इसका इस्तेमाल ज्यादातर अवैद्य गतिविधियों जैसे मनी लौंडरींग (Money Laundering), कर अपवंचन (Tax Evasion), और टेर्रर- फ़ाइनेंसींग (Terror-Financing) में किया जाता है।
  2. विभिन्न देशों में अलग-अलग तरह के विनियमन (Regulation) है, जिससे अनिश्चितता बनी रहती है।
  3. डाटा संग्रहण (Data Storage) की सीमाएं है।

Blockchain Technology in Hindi (ब्लॉकचेन टेक्नॉलजी हिन्दी में) – Video

Courtesy: Zee news

भविष्य (Way Forward):

जैसा की हमने देखा की यह वर्तमान समय की क्रांतिकारी (Revolutionary) टेक्नालजी है। इस टेक्नालजी के इस्तेमाल से होने वाले फायदे को देखें तो, मानव जीवन से जुड़ी हर छोटी-बड़ी समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है। विभिन्न देशों ने अधिनियम बनाकर इस पर काम शुरू कर दिया है। भारत ने भी इसे स्वीकार किया है। हमारे रिजर्व बैंक और व्यावसायिक बैंकों ने इस दिशा में कदम बढ़ाया है। आनेवाले दशक में इस तकनीकी के माध्यम से कई सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे।

आशा करता हूँ, आपको ये Article पसंद आया होगा। अगर ये जानकारी अच्छी लगी तो अपने मित्रों तक भी इस ज्ञान को पहुंचाएँ। अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें। मिलते हैं अगले अंक में। कीमती समय देने के लिए धन्यवाद।

 

Disclaimer (अस्वीकरण): हमारा मकसद आपको सिर्फ क्रिप्टोकरेंसी और उससे जुड़ी तकनीकी जानकारी देने का है। हम किसी भी तौर पर किसी  भी क्रिप्टोकरेंसी के व्यवसाय से संबंधित सलाह किसी भी लेख के माध्यम से नहीं देते। उम्मीद  है पाठक खुद सोच-समझकर निर्णय लेंगे।

Reference – Blockchain History – Courtesy: Blockchain – Wikipedia